दोस्तों, भगवान् जगन्नाथ, भगवान् विष्णु के आंठ्वे अवतार श्रीकृष्ण के एक रूप है| जिन्हें स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक और पाताल लोक समेत ब्रह्मांड का स्वामी कहा जाता है| भगवान् जगन्नाथ के हर मंदिर में उनके साथ बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम की पूजा की जाती है|
अब वैसे तो “ओड़िसा का श्री जगन्नाथ मंदिर” पुरे विश्व में प्रसिद्द है, लेकिन क्या आप जानते है की ओड़िसा के अलावा भारत में भगवान् जगन्नाथ के कई पवित्र धाम मौजूद है, और आज हम आपको उन्ही पवित्र धामों के बारें में बताएंगे|
साथ ही भगवान् जगन्नाथ से जुड़े कई ऐसे रहस्यों से पर्दा उठाएंगे, जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगे| जैसे की आखिर क्यों भगवान् जगन्नाथ की प्रतिमा के हाथ और पैर के पंजे नहीं होते? और उनकी प्रतिमा कौनसी लकड़ी से बनाई जाती है? इसलिए हम हर सनातन धर्मी से यही गुजारिश करेंगे की पूरा लेख जरुर पढियेगा|
पुरी का जगन्नाथ मंदिर: श्रद्धा और आस्था का प्रतीक
दोस्तों, आपने देखा होगा की भगवान् जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम तीनों में से किसी की भी प्रतिमा के हाथ और पैर के पंजे नहीं होते, मगर ऐसा क्यों? तो पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान जगन्नाथ की मूर्ति बनाने का कार्य विश्वकर्मा कर रहे थे|
मगर राजा इंद्रद्युम्न के सामने उनकी शर्त थी कि उनके काम में कोई बाधा न डालें वरना वे काम रोक देंगे| लेकिन काम के बीच अचानक से उस कमरे में छेनी और हथौड़ी की आवाज बंद हो जाती है, जिससे राजा इंद्रद्युम्न को कोई अनहोनी होने की आशंका होती है, और वो मूर्ती के निर्माण के बीच में ही उस कमरे में चले जाते है|
जिससे नाराज होकर विश्वकर्मा मूर्तियों का काम आधे में ही छोड़कर वहां से गायब हो जाते है| इस घटना से राजा काफी हताश हो गए थे, लेकिन उसी रात उनके सपने में भगवान् जगन्नाथ आये और उन्होंने राजा को आदेश दिया की आप अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित कीजिये|
तबसे लेकर आज तक भगवान् जगन्नाथ की किसी भी मूर्ति के हाथ और पैर के पंजे नहीं बनाये जाते| और इसका एक और कारण ये माना जाता है की भगवान् जगन्नाथ को पूरी दुनिया में कृपादृष्टि फैलाने के लिए हाथ पैरों की जरूरत नहीं है|
चलिए अब देखते है भारत में भगवान् जगन्नाथ के शीर्ष 10 पवित्र धाम!
1 – श्री जगन्नाथ मंदिर, पूरी, ओडिशा
दोस्तों, भगवान् जगन्नाथ सबसे भव्य मंदिर ओडिशा के पूरी शहर में स्थित है| इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है की जैसे ही हम मंदिर के सिंह द्वार से पहला कदम अंदर रखते है तो समुद्र के लहरों की आवाजें सुनाई देने बंद हो जाती है जबकि जैसे ही मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे समुद्र के लहरों की आवाजें तेज़ी से कानों में सुनाई देने लगती है| वहीं मंदिर पर लगा हुआ झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहरता है|
और पूरे दिन किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती है| कहा जाता है की मंदिर की लगभग 45वी मंजिल पर लगे झंडे को प्रतिदिन बदलना जरुरी है, और अगर ऐसा नहीं किया गया तो पुरे 18 सालों तक मंदिर बंद हो जाएगा|
इस मंदिर में रोजाना हजारों लाखो लोग प्रभु जगन्नाथ के दर्शन करने आते है, लेकिन आश्चर्य की बात तो ये है की चाहे कितने भी श्रद्धालु आ जाए जगन्नाथ भगवान मंदिर में कभी प्रसाद घटा नहीं है} और जब मंदिर के कपाट बंद होते है तो प्रसाद भी अपने आप समाप्त हो जाता है|
यहाँ भगवान् जगन्नाथ की मूर्ती शुद्ध नीम की लकड़ी से बनी हुई है, और जिस साल आषाढ के दो महीने आते है, तभी मंदिर में तीनों भगवानों की प्रतिमा बदल दी जाती है| ऐसा 12, 14 या 19 सालों में एक बार होता है और इसे “नव-कलेवर” कहा जाता है|
लेकिन मंदिर में प्रतिमा बदलना उतना भी आसान काम नहीं है, बल्कि इसके लिए सालों पहले तैयारियां शुरू कर दी जाती है| और जब प्रतिमा को बदलना होता है तो पुरी में हर जगह की लाइट बंद कर दी जाती है मंदिर के चारों तरफ CRPF सेना लगा दी जाती है ताकि कोई भी व्यक्ति मंदिर में घुस न पाए| वहीं मंदिर में भी पुरी तरह से अँधेरा रहता है और पुजारी के आँखों पर भी एक पट्टी बांध दी जाती है|
फिर पुजारी अपने दोनों हाथों में दस्ताने पहन कर पुरानी मूर्ति में से एक ब्रह्मा पदार्थ निकाल कर नई मूर्ति में स्थापित करता है। ये पदार्थ क्या है आज तक कोई पता नहीं लगा सका है, बस इसे हजारों वर्षों से एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति परिवर्तित किया जाता है| कहा जाता है की इसका संबंध भगवान श्री कृष्ण से है, और यह एक ऐसा अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने पर इंसान का पूरा शरीर भस्म हो जाता है|
हालाकि आजतक कोई भी पुजारी ये नहीं बता पाया की वो पदार्थ क्या है जिसे एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति में डाला जाता है| बल्कि जिन पुजारियों ने उस पदार्थ को हाथ लगाया है उनका कहना है की यह खरगोश की तरह उछलता रहता है| और पुजारियों की ये बात इस रहस्य को और भी ज्यादा आश्चर्य से भर देती है|
2. श्री जगन्नाथ मंदिर, महू, मध्यप्रदेश
एमपी में इंदौर से 20 किलोमीटर और महू से 4 किलोमीटर दूर साल 2004 में इस मंदिर का निर्माणकार्य शुरू हुआ था| 1 जुलाई 2004 के दिन जब मंदिर का भूमिपूजन हो रहा था|
तब “1011 ब्रह्मऋषि श्री बर्फानी बाबा” ने अपना “मौनव्रत” तोड़ते हुए कहा था की में यहाँ भगवान् जगन्नाथ को देख पा रहा हूँ और भविष्य में ये मंदिर काफी लोकप्रिय और चमत्कारिक होगा|
जिसके बाद 28 अप्रैल 2005 के दिन मंदिर में भगवान् जगन्नाथ की प्राण प्रतिष्ठा की गयी, और पिछले 20 सालों में इस मंदिर की लोकप्रियता काफी बढ़ी है|
3 – श्री जगन्नाथ मंदिर, अहमदाबाद गुजरात
अहमदाबाद के जमालपुर में भगवान् जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम का भव्य मंदिर स्थित है| जहाँ साल 1878 से हर साल भगवान् जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते है|
और ये पूरी ओड़िसा के बाद “श्री जगन्नाथ” की दूसरी सबसे बड़ी रथयात्रा होती है| इस मंदिर को लेकर कहा जाता है की “श्री सारंगदास जी” भगवान् जगन्नाथ के दर्शन करके पूरी गए थे, तभी विश्राम करते वक्त उनके सपने में भगवान् जगन्नाथ आये थे और उन्होंने सारंगदास जी को अहमदाबाद में उनका मंदिर बनाने के लिए कहा था|
4 – श्री जगन्नाथ मंदिर, हैदराबाद, तेलंगाना
ये मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर की रेप्लिका है, हालाँकि, आकार में यह मंदिर बहुत छोटा है| इस मंदिर के निर्माण में उड़ीसा से लाए गए बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है, जिस वजह से इसका रंग लाल है|
साल 2009 में इस अद्भूत मंदिर को बनाया गया था और मंदिर को तराशने में 60 मूर्तिकारों ने काम किया था| भगवान् जगन्नाथ के अलावा मंदिर परिसर में महादेव, गणेश जी, महाबली हनुमान, देवी भीमला और देवी लक्ष्मी के 5 छोटे मंदिर भी है| ये मंदिर आदिलाबाद से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है और यहाँ जाने के लिए पक्की सड़क भी बनी हुई है|
5 – श्री जगन्नाथ मंदिर, चेन्नई, तमिलनाडु
इस मंदिर को भी पूरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही बनाया गया है, हालाकि इसमें “ओड़िया शिल्पकारी” का उपयोग किया गया है| मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और वहां जाने के लिए आपको 22 सीढियां चढ़नी पड़ेगी|
फिर मुख्य द्वार से कदम रखते ही आपको भगवान् जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम की नीम से बनी भव्य प्रतिमाओं के दर्शन होंगे| मंदिर को बनाने के लिए राजस्थान और काचिपुरम के स्पेशल मार्बल का इस्तेमाल किया गया है और इसका कंस्ट्रक्शन साल 2001 में पूरा हुआ था|
6 – श्री जगन्नाथ मंदिर, बेंगलोर, कर्नाटक
मुख्य ऊँचे गुंबज के पास में छोटे छोटे गुंबजों के साथ ये मंदिर काफी भव्य दीखता है| यहाँ भी भगवान् जगन्नाथ के साथ उनके भाई बहन की पूजा की जाती है और हर साल रथयात्रा भी आयोजित की जाती है, और 15,000 “श्रद्धालु ब्रहमांड के स्वामी जगन्नाथ” की इस भव्य यात्रा का हिस्सा बनते है|
7 – श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज, नई दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली में रहनेवाली “ओड़िया कम्युनिटी” ने इस भव्य मंदिर को बनवाया है| श्वेत पत्थर से बने इस मंदिर का आकार तो उतना बड़ा नहीं है, लेकिन फिर भी यहाँ हर महीने हजारों श्रद्धालु भगवान् जगन्नाथ के दर्शन करने आते है| और यहाँ नियमित रूप से यज्ञ, भक्तों के लिए प्रसाद और रथयात्रा का भी आयोजत किया जाता है|
8 – इमामी जगन्नाथ मंदिर, बलगोपालपुर, ओड़िसा
बालासोर डिस्ट्रिक्ट के बलगोपालपुर में भगवान् जगन्नाथ का एक और भव्य मंदिर बना हुआ है| मंदिर परिसर को उंचाई पर बनाया गया है और इसकी दीवारों पर “16 कोणार्क पहिये” बनाए गए है| जो मंदिर की भव्यता में चार चाँद लगा देते है|
साथ ही मुख्य सीढ़ियों के पास 4 खुबसूरत घोड़े भी बनाए गए है| रात के समय जब सभी लाइट्स ओन की जाती है तो ये मंदिर काफी खुबसूरत दीखता है, इसलिए शाम के समय काफी श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते है|
9 – श्री जगन्नाथ मंदिर, सियालकोट, पाकिस्तान
आजादी के बाद जब देश का बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान में ज्यादातर हिन्दू मंदिरों को तबाह कर दिया गया था| लेकिन आज भी वहां कुछ गिने चुने हिन्दू मंदिर मौजूद है, जिनमें से एक है सियालकोट का श्री जगन्नाथ मंदिर!
जिसे पाकिस्तान का सबसे ओल्डेस्ट टेम्पल भी कहा जाता है| क्योंकि इसे 12th AD(एडी) में कलिंगा आर्किटेक्चर से बनाया गया था| हालाकि प्रॉपर मेंटेनेंस ना होने की वजह से मंदिर की हालत जर्जर हो चुकी है| लेकिन कहा जाता है की भगवान् जगन्नाथ आज भी वहां विराजमान है और वो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते है|
10 – कोमिला जगन्नाथ मंदिर, बांग्लादेश
इस मंदिर में 18वी सदी में त्रिपुरा के रजा “रत्न माणिक्य 2” ने बनवाया था| ये बांग्लादेश के कोमिल्ला डिस्ट्रिक्ट का सबसे पुराना मंदिर है, और इसे टेराकोटा पत्थरों से बनाया गया था| वहीं इसके अलावा, ओड़िसा के इच्छापुर, त्रिपुरा के अगरतला, रांची और जयपुर में भी भगवान् जगन्नाथ के भव्य मंदिर मौजूद है|
तो मित्रों, आज के लिए बस इतना ही, आपने अब तक भगवान जगन्नाथ के कौन से मंदिर के दर्शन किये हैं? कमेंट्स में बताइये| ये लेख अच्छा लगा हो तो इसे लाइक और शेयर करके हमें सपोर्ट कीजिये| और सनातन धर्म से जुड़े ऐसे ही दिलचस्प लेख के लिए हमारे Youtube channel“भारत स्पंदन” चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिये|